आधुनिक कला

आधुनिक कला (माॅडर्न आर्ट) शब्द एक विश्वव्यापी अन्तर्राष्ट्रीय शब्द है जिसके अन्र्तगत प्रायः उन्नीसवीं शती के मध्य से बीसवीं शतीं के मध्य के कला आन्दोलनों की गणना की जाती है। माॅडर्न आर्ट के उद्भव के पीछे औद्योगिक क्रान्ति, शहरीकरण, आर्थिक , राजनीतिक एवं तकनीकी परिवतर्न आदि कारण रहे। औद्योगिक क्रान्ति व फोटोग्राफी आदि के कारण कला जगत् में भी पूर्व निर्धारित मान्यताओं व परम्पराओं आदि पर आधारित रूपाकारांे से भिन्न कलारूपों की सर्जना आरम्भ हुई एवं कला में आधुनिकतावाद आरम्भ हुआ जिसमें नये कलारूपों की खाजे एवं प्रयोग हुए, साथ ही इसमें कलाकारों को किसी विषिष्ट विचारधारा या अनुषासन में बध्ंाने को मजबरू नहीं किया, वरन् व्यक्तिगत भावनाआंे के अनुसार अपना रास्ता खोजने या अपनाने को प्रोत्साहित किया।
पष्चिम में आधुनिक कला प्रभाववाद, उत्तर पभ््रााववाद, प्रतीकवाद, फाववाद, अभिव्यंजनावाद, दादावाद, अतियथार्थवाद आदि कला आन्दोलनों का समन्वित रूप माना जाता है। इन आन्दोलनों में  1914 ई. के प्रथम विश्वयुद्ध व 193र्9 इ. के द्वितीय विष्वयुद्ध की भूमिका भी स्पष्ट दिखाई देती है।
भारत में ब्रितानी साम्राज्य कायम होने के बाद षिक्षा, कला, साहित्य, संस्कृति तथा सामाजिक क्षेत्रों में अंग्रेजों का प्रभुत्व त्वरित गति से बढऩे लगा। चित्रकला के क्षत्रे में पाष्चात्य सभ्यता के अनुकलू राजा रवि वर्मा ने तैल चित्र बनाए। रवि वर्मा ने यूरोपीय पद्धति में तैल माध्यम में, छाया प्रकाष आदि के द्वारा नाटकीय प्रभावयुक्त अनेक चित्र बनाये, जिनके विषय विषुद्ध भारतीय रहे।
भारतीय कला के क्षत्रे में एक नई दिषा देने का कार्य ब्रिटिष कलाविद् ई. बी. हैवेल ने किया। 1907 ई॰ में कलकत्ता में स्थानीय कला स्कूल के प्रिसिपल ई॰ बी॰ हैवेल तथा अवीन्द्रनाथ टैगोर ने इंडियन सोसायटी आफ आॅरिएन्टल आर्ट नामक संस्था की स्थापना की। संस्था का प्रमुख ध्येय परम्परागत कला शैली तथा आधुिनक विचारधाराओं के समन्वय से एक नवीन शैली का निमार्ण करना था। धीरे-धीरे संस्था ने कलाकारांे को षिक्षा देने का भी प्रबन्ध किया।
कालान्तर में कई प्रतिभाषाली चित्रकार इस सस्ंथा द्वारा निकले। नन्दलाल बोस, क्षितीन्द्र नाथ मजूमदार, असित कुमार हल्दार, मुकलु दे, देवीप्रसाद राय चाध्ैारी आदि कलाकारों ने अपनी रचनात्मक धारा से राष्ट्रीय चेतना को अपूर्व बल प्रदान किया और इनसे प्रभावित होकर भावी कलाकारांे ने देश के विभिन्न हिस्सों में जाकर आधुनिक कला के विचार का प्रचार-प्रसार किया।


चित्र 1 - आकृति मूलक - नन्दलाल बोस ‘ऐरावत पर इन्द्र’


चित्र 2 - अमूर्त - रामकुमार - बनारस घाट

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