मनीन्द्र भूषण गुप्ता{Manindra Bhushan Gupta}

मनीन्द्र भूषण गुप्ता का जन्म 1898 ई मे ढाका में ऑटशाही नामक गाँव हुआप्रारम्भ में बंगाल स्कूल की कला-प्रवृत्तियों से मनीन्द्र भूषण गुप्ता की कला आक्रान्त रही, पर बाद में उक्त आंदोलन के आस्थावादी दृष्टिकोण की रूढ़िवादिता, सीमित और संकीर्ण विचारधारा तथा श्रमसाध्य, रूढ़ एवं एकांगी भावात्मकता से वे ऊब उठे । युग की प्रगति, वस्तून्मुखी परिस्थितियाँ और नयेपुराने आदर्शों के द्वन्द्व ने उनमें कार्य करने की नई प्रेरणा जगाई । शनैः-शनै: वे इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि सच्चे अर्थों में प्रभावशाली भावसृष्टिजी वन की वास्तविक गतिविधि के निरीक्षण पर निर्भर है, अतएव अपने आगामी चित्रों में घिसेपिटे परम्परागत कलारूपों के स्थान पर नवीन परिस्थिति, जन्य सामयिक प्रश्नों के प्रस्थापन में वे प्रयत्नशील रहे। बंगाली अंतर्भाग का चित्रण कर उन्होंने सामान्य जन-जीवन का निरूपण और उद्घोष किया, मानो घर के खले दरवाजे से स्वच्छन्द वायु प्रवहमान हो रही हो । बदरीनाथ में कलाकार की स्वप्नाच्छन्न दृष्टि धूमिल सी हो उठी है, विशाल हिमालय पर्वत श्वेत झाग के बुल्ले सा लटका है ।  "केदारनाथ के यात्री" में रचना-कौशल अधिक सफल बन पड़ा है, पर "बनवासी यक्ष" इसकी पुनरावृत्ति सा लगता है और अवनीन्द्रनाथ ठाकुर ने भी श्बनवासी यक्षश् विषयक चित्र का निर्माण किया था, अतः उसकी तुलना में यह कृति निरी निष्प्राण सी जंचती है। श्ऋषिकन्याश् में कोमल व्यंजना और शिथिल भावात्मकता है, ऐसा प्रतीत होता है मानो बंगाली कलादशो का प्रभाव उतार पर आ गया है। "जयदेव मेला" में दृश्य-चित्रण बड़ा ही खुशनुमा नजर आता है । वृक्षों की हरीतिमा और यात्री-समूह सब पर पहाड़ी चित्र-शैली की छाप दृष्टिगत होती है, लेकिन वैमा नैसर्गिक सौन्दर्य और भाव- गत साम्य नहीं दीख पड़ता। इनकी कला के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण तत्त्व बंगाल कला आन्दोलन की ही उपज है, तथापि सामयिक वात्याचक्र से टकराती इनकी कला-चेतना विकसित होती गई । ये कोलम्बो तक अपनी टेकनीक और कला-प्रवृत्तियों को ले गए जहाँ भारत की कला-परम्पराओं की प्रतिष्ठापना में ये संलग्न रहे । साम्प्रदायिक दंगों से इन्हें ठेस पहुंची और इन्होंने प्रतीक पद्धति पर "घृणा की विजय" और "शाति के अधिनायक" चित्रों की सर्जना की. पर नई शैली और स्थूल आग्रह ने इनकी कला के सौन्दर्य का हनन किया ।मनीन्द्र भूषण गुप्ता की मृत्यु 10 फरवरी 1968 ई को हो गयी

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